उमा भारती के शराबबंदी कैंपेन से सरकार बैकफुट पर
भोपाल. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के शराबबंदी को लेकर अभियान शुरू करने के ऐलान का असर नई आबकारी नीति पर पड़ता दिखाई दे रहा है. अब सरकार इसे 3 माह के लिए टालने पर विचार कर रही है. प्रदेश में नई आबकारी नीति 1 अप्रैल की बजाय अब 1 जुलाई से लागू करने की तैयारी है. तब तक प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव भी संपन्न हो जाएंगे.
आबकारी विभाग ने नई आबकारी नीति का प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को पिछले सप्ताह भेज दिया था। हर साल 15 मार्च तक टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है, ताकि आगामी वित्तीय वर्ष (1अप्रैल से 31 मार्च) में शराब के ठेके 1 अप्रैल से शुरू हो सकें, लेकिन वर्ष 2020-21 के लिए प्रस्ताव तैयार होने से पहले ही नई शराब दुकानों को लेकर विवाद शुरू हो गया।
उमा भारती के तेवर के बाद कांग्रेस के साथ भाजपा के अंदर भी नई चर्चा छिड़ गई है। आर्थिक संकट से जूझ रही राज्य सरकार आय बढ़ाने के लिए शराब दुकानों की संख्या बढ़ाने पर विचार कर रही थी, लेकिन राजनीतिक बवाल खड़ा होने के कारण उसे बैकफुट पर जाना पड़ा।
बता दें कि मध्य प्रदेश में सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 में 8,321 करोड़ रुपए की कमाई की थी, जबकि इस साल यानि 2020-21 में 10 हजार 318 करोड़ रुपए की कमाई की उम्मीद थी. प्रदेश में इस समय 3605 शराब की दुकानें है, जबकि 10 साल पहले 2770 दुकानें थीं.
आबकारी विभाग नई आबकारी नीति का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज चुका है. हर साल 15 मार्च तक टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है, ताकि आगामी वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) में शराब के ठेके 1 अप्रैल से शुरू हो सकें, लेकिन वर्ष 2020-21 के लिए प्रस्ताव तैयार होने से पहले ही नई शराब दुकानों को लेकर विवाद शुरू हो गया. उमा भारती के तेवर के बाद कांग्रेस के साथ भाजपा के अंदर भी नई चर्चा छिड़ गई है. आर्थिक संकट से जूझ रही राज्य सरकार आय बढ़ाने के लिए शराब दुकानों की संख्या बढ़ाने पर विचार कर रही थी, लेकिन राजनीतिक बवाल खड़ा होने के कारण उसे बैकफुट पर जाना पड़ सकता है.
नरोत्तम मिश्रा ने कहा था बढ़ाई जाए दुकानों की संख्या
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पिछले महीने दिए एक बयान में कहा था, अवैध शराब की रोकथाम के लिए प्रदेश में शराब दुकानों की संख्या बढ़ाई जाना चाहिए. इसको लेकर विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया था. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बीच में बोलना पड़ा था कि नई शराब दुकानें खोलने का फिलहाल कोई विचार नहीं है. बावजूद इसके आबकारी विभाग ने नई दुकानें खोलने के प्रस्ताव कलेक्टरों से मांगने के लिए पत्र भेज दिया था, बाद में इसे वापस ले लिया था.
निकाय चुनाव में नुकसान होने का भी डर
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने प्रदेश में शराबबंदी को लेकर अभियान शुरू करने का ऐलान किया तो सीएम शिवराज घिरते नजर आए। यही कारण है कि मुख्यमंत्री ने 4 फरवरी से रतलाम में नशाबंदी के खिलाफ अभियान चलाने की शुरुआत कर दी। जानकारों का मानना है कि नगरीय निकाय चुनाव से पहले उमा भारती के अभियान का असर भाजपा को नुकसान पहुंंचा सकता है। नई नीति को तीन महीने के लिए होल्ड करने की एक वजह यह भी मानी जा रही है।
सरकार को राजस्व की चिंता
दरअसल, मध्य प्रदेश में उमा भारती अकेली राजनेता नहीं हैं, जिन्होंने शराबबंदी की मांग की है। यदा-कदा इसे लेकर आवाजें उठती रही हैं। कभी सामाजिक संगठनों की तरफ से मांग उठती है तो कभी राजनीतिक दलों के भीतर ही बातें होती रही हैं। शराब बंदी की मांग के बीच सरकार आज तक इस सवाल का जवाब नहीं खोज पाई कि यदि शराब को पूरे प्रदेश में प्रतिबंधित कर दिया तो इससे मिलने वाले राजस्व की भरपाई कहां से होगी?