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इंदौर मेयर पद को लेकर भाई-ताई के अलावा दो गुट बढ़ने से बीजेपी का सिरदर्द बढ़ा

इंदौर. इंदौर में मेयर पद अब तक भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं कैलाश विजयवर्गीय और सुमित्रा महाजन के बीच बंटा हुआ होता था. लेकिन, अब दो और गुटों के उभरने से पार्टी की मुश्किल बढ़ गई है. एक गुट सांसद शंकर लालवानी का और दूसरा सिंधिया गुट के नेताओं का. इन दोनों गुटों के कार्यकर्ताओं ने भी मेयर पद के टिकट की उम्मीद लगा रखी है. भाजपा को अब इन चार गुटों के नेताओं को साधकर मेयर पद का उम्मीदवार खड़ा करना है. इस स्थिति पर कांग्रेस ने भाजपा पर गुटबाजी का तंज कसा है.

इंदौर में मेयर पद के टिकट के लिए भाजपा में घमासान दिखाई देने लगा है. दरअसल तीनों वरिष्ठ नेताओं कैलाश विजयवर्गीय, सुमित्रा महाजन और शंकर लालवानी अपनी-अपनी बात पार्टी के सामने रख रहे हैं. पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन जहां पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा, सुदर्शन गुप्ता और मधु वर्मा की पैरवी कर रही हैं, तो वहीं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय रमेश मेंदोला और जीतू जिराती के लिए मेयर का टिकट चाहते हैं. जानकारी के मुताबिक, इस बीच शंकर लालवानी ने किसी नए चेहरे को टिकट देने की वकालत कर दी है. इन तीनों नेताओं के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक भी टिकट की आस लगाए बैठे हैं. शहर में सिंधिया समर्थक मोहन सेंगर भी मेयर पद के लिए अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं. बता दें, वे विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं.

कांग्रेस ने कसा ये तंज
बीजेपी में चल रहे इस कोल्डवॉर पर कांग्रेस चुटकी ले रही है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला का कहना है कि शहर की बीजेपी त्रिशंकु स्थिति में पहुंच गई है. ताई-भाई और सांई, तीनों गुट शहर पर अपना कब्जा करना चाहते हैं, जिससे नगर सरकार उनके हिसाब से चल सके. वहीं अब सिंधिया गुट भी सक्रिय दिखाई दे रहा है, ऐसे में बीजेपी में गुटबाजी साफ दिख रही है. कांग्रेस पर गुटबाजी का आरोप लगाने वालों को अब अपने गिरेबां में झांकना चाहिए.
सांसद ने किया खींचतान से इनकार

उधर बीजेपी किसी भी तरह की खींचतान से इनकार कर रही है. बीजेपी के सांसद शंकर लालवानी का साफ कहना है कि पार्टी में खींचतान जैसी कोई स्थिति नहीं है. बीजेपी ही एक ऐसी पार्टी है जिसमें आंतरिक लोकतंत्र में परिवार का भाव है. पार्टी में किसी भी बात को लेकर रस्सा-कशी नहीं है. पार्टी में बहुत सारे अच्छे कार्यकर्ता हैं जो महापौर पद के उम्मीदवार हो सकते हैं. इसलिए पार्टी सभी की रायशुमारी से और विचार करके ही टिकट तय करेगी और जिसको भी टिकट मिलेगा उसे सभी वरिष्ठ नेता अपना समर्थन देंगे

गैर गुट वाले को मिल सकता है टिकट

बहरहाल ये बात किसी से छिपी नहीं हैं कि कैलाश विजयवर्गीय और सुमित्रा महाजन के बीच की तनातनी पार्टी के अंदर ही नहीं बल्कि पार्टी के बाहर भी दिखाई देती रही है. ताई और भाई की इसी लड़ाई में कई विधायक मंत्री तक नहीं बन पाए. इस बार भी कैलाश विजयवर्गीय के राइट हैंड रमेश मेंदौला का नाम मंत्री पद की दौड़ में शामिल रहा, लेकिन मंत्री पद दीदी यानि उषा ठाकुर को मिला, जो दोनों गुटों से दूर है. ऐसे में मेयर पद के लिए बीजेपी ऐसे उम्मीदवार का चयन कर सकती है जो किसी गुट से ताल्लुक न रखता हो.

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